Protests erupt outside Kasba Police station as 3 arrested in alleged Kolkata college gang rape
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को नए संसद भवन के उद्घाटन अवसर पर कहा कि नए रास्तों पर चलकर ही नए प्रतिमान स्थापित किए जाते हैं। भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जननी भी है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को नए संसद भवन के उद्घाटन अवसर पर कहा कि नए रास्तों पर चलकर ही नए प्रतिमान स्थापित किए जाते हैं। भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जननी भी है। भारत आज वैश्विक लोकतंत्र का भी बड़ा आधार है। लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ व्यवस्था नहीं, एक संस्कार, एक विचार और एक परंपरा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने आज नव्य-भव्य संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित किया। इससे पूर्व उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच नए संसद भवन में सेंगोल को स्थापित किया। बाद में उन्होंने भवन निर्माण में योगदान देने वाले श्रमजीवियों का सम्मान किया। दोपहर को नए भवन के लोकसभा कक्ष में कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने कोलकत्ता टकसाल में तैयार 75 रुपये का सिक्का और विशेष डाक टिकट जारी किया। उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अधयक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश मंच पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम में सांसदों, केन्द्रीय मंत्रियों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों, कई देशों के राजदूत और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
लोकसभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि नया संसद भवन नए विचारों का सृजन करेगा और नए संकल्प स्थापित करेगा। नए संसद भवन में सांसद नई गरिमा और नए मानदंड स्थापित करेंगे। साथ ही रचनात्मक तथा सकारात्मक चर्चा से भारत निर्माण में योगदान देंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री को नए संसद भवन के लिए साधुवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र की जरूरत और भविष्य की जरूरतों पर आधारित है। इसमें प्राचीन विरासत और आधुनिक आवश्यकताओं को साथ लेकर चला गया है।
इस दौरान राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के शुभकामना संदेश पढ़े गए। राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा कि यह देश के लिए एक स्वर्णिम अवसर है। भारत में एक सहज लोकतंत्र है और नया भवन उसे सशक्त करेगा। यह राष्ट्र प्रगति की ऊर्जा का स्रोत बनेगा। साथ ही एकता और राष्ट्र गौरव की भावना बढ़ाएगा।
वहीं उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि आज का दिन भारत की एक बड़ी शक्ति बनने की यात्रा को दर्शाता है। भारत की तेज प्रगति का साक्षी है। यह गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का प्रतीक है। उन्होंने उम्मीद जताई कि नई संसद में नीतियों और विधानों के माध्यम से हाशिये में गए लोगों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं का समाधान सुनिश्चित किया जाएगा। साथ ही भविष्य की चुनौतियों के बीच हमारा पथ प्रदर्शक बनेगा।
स्वागत संदेश में उप सभापति हरिवंश ने कहा कि नया भवन नागरिकों की आशाओं, आक्षांओं और अपेक्षाओं की पूर्ती का माध्यम बनेगा। यह बेहद खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 2.5 साल से भी कम समय में एक नई आधुनिक संसद का निर्माण किया गया। यह दिन एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह अमृतकाल में प्रेरणा का स्रोत साबित होगा। उन्होंने कहा कि नए संसद भवन में देश की सांस्कृतिक विरासत और विविधता दिखाई देती है। इसमें अत्याधुनिक प्रणाली का उपयोग किया गया है। उन्हें उम्मीद है कि आने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए यह प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
कार्यक्रम के दौरान दो फिल्म भी प्रदर्शित की गईं। पहली में नए संसद भवन की जानकारी दी गई और दूसरी में लोकसभा में स्थापित सेंगोल की जानकारी दी गई है। उल्लेखनीय है कि नए संसद भवन में छह द्वार हैं। इसका लोकसभा कक्ष पिछले लोकसभा कक्ष के मुकाबले दोगुना क्षमता वाला है जो राष्ट्रीय पक्षी मोर से प्रेरित है। राज्यसभा राष्ट्रीय फूल ‘कमल’ से प्रेरित है और यह वर्तमान से डेढ़ गुना बड़ा है। इसमें डिजिटल उपकरण और बायोमीट्रिक सिस्टम लगाया गया है। नया संसद भवन पूरी तरह से पेपरलेस होगा। मुख्य परिसर में संविधान को समर्पित किया गया है। यहां पर उसकी डिजिटल पांडुलिपि को भी रखा गया है। नए संसद भवन में 1700 खिड़कियां हैं।